June 27, 2025

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बिहार की धरोहर को जोड़ने वाला भविष्य: संग्रहालय सुरंग परियोजना का मुख्यमंत्री ने किया निरीक्षण

बिहार की धरोहर को जोड़ने वाला भविष्य: संग्रहालय सुरंग परियोजना का मुख्यमंत्री ने किया निरीक्षण

बिहार संग्रहालय और पटना संग्रहालय के बीच बनेगी अंडरग्राउंड सुरंग
राज्य की प्राचीन और आधुनिक विरासत अब एक ही यात्रा में

मुख्यमंत्री ने लिया प्रगति कार्य का जायज़ा, दिए समयबद्ध पूर्णता के निर्देश
सुरंग निर्माण को बताया सांस्कृतिक गौरव का सेतु

पर्यटन और शिक्षा के क्षेत्र में मिलेगा नया आयाम
देश-विदेश के आगंतुकों को एकीकृत संग्रहालय अनुभव

संरक्षण और नवाचार का अनोखा संगम बनेगी यह सुरंग
धरोहरों की डिजिटल प्रदर्शनी और इंटरएक्टिव अनुभव की भी योजना

       पटना। बिहार के सांस्कृतिक इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने सोमवार को पटना स्थित बिहार संग्रहालय और पटना संग्रहालय को जोड़ने वाली निर्माणाधीन टनल का निरीक्षण किया। इस सुरंग के निर्माण को सांस्कृतिक एकता और विरासत संरक्षण की दृष्टि से एक दूरदर्शी पहल माना जा रहा है।

       मुख्यमंत्री ने इस दौरान टनल निर्माण कार्य की प्रगति, तकनीकी मानकों और पर्यटकों की सुविधाओं की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया कि कार्य को जल्द और बेहतर ढंग से पूरा किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि सुरंग का निर्माण इस तरह हो कि इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ-साथ पैदल पर्यटक भी सहजता से आवागमन कर सकें।

टनल परियोजना का महत्व

       इस टनल की लंबाई लगभग डेढ़ किलोमीटर और चौड़ाई 8 मीटर होगी। इसे जमीन की सतह से 15 मीटर नीचे तैयार किया जा रहा है। यह सुरंग, बिहार संग्रहालय और पटना संग्रहालय के बीच भौगोलिक दूरी को न केवल घटाएगी, बल्कि दोनों संग्रहालयों को एक ही विरासत श्रृंखला के रूप में देखने का अनुभव भी देगी।

       टनल परियोजना का मुख्य उद्देश्य इन दोनों संग्रहालयों को एकीकृत करना है ताकि पर्यटक एक जगह से दूसरी जगह बिना सड़क यातायात में उलझे, सहज रूप से पहुंच सकें। सुरंग में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और पैदल यात्रियों के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी, जिससे यह परियोजना पर्यावरण-संवेदनशीलता के भी मानकों पर खरी उतरती है।

मुख्यमंत्री की प्राथमिकता: पर्यटन और विरासत

       निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से कहा कि बिहार संग्रहालय को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित किया गया है और उसमें विश्वस्तरीय प्रदर्शन सामग्री है। वहीं, पटना संग्रहालय में ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व की अनेक वस्तुएँ संरक्षित हैं। दोनों का एकीकृत रूप में अनुभव पर्यटकों को बिहार की समृद्ध विरासत से परिचित कराने में अहम भूमिका निभाएगा।

       मुख्यमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि पर्यटन बढ़ने के साथ-साथ पार्किंग और अन्य जनसुविधाओं की भी समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। टनल और संग्रहालयों का उन्नयन राज्य की सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था को बल देने वाला कदम है।

पटना संग्रहालय का उन्नयन और विस्तारीकरण कार्य

       टनल निरीक्षण के उपरांत मुख्यमंत्री ने पटना संग्रहालय और उसके विस्तारीकरण कार्य का भी अवलोकन किया। उन्होंने नवनिर्मित सभागार, संग्रह भंडार, “गंगा दीर्घा” जैसे प्रमुख हिस्सों का निरीक्षण करते हुए संतोष व्यक्त किया कि कार्य का गुणवत्ता स्तर संतोषजनक है।

       मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि जो कार्य शेष हैं, उन्हें समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण तरीके से पूरा किया जाए। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि पटना संग्रहालय राज्य का ऐतिहासिक धरोहर है और इसमें रखे गए दुर्लभ पुरातात्विक सामग्रियों का संरक्षण सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

सांस्कृतिक राजधानी के रूप में पटना का उभरता चेहरा

       यह परियोजना न केवल पर्यटकों के लिए सुविधाजनक होगी, बल्कि पटना को एक सांस्कृतिक राजधानी के रूप में भी पुनर्परिभाषित करेगी। बिहार सरकार का यह प्रयास स्पष्ट करता है कि राज्य अब केवल कृषि और औद्योगिक विकास पर ही नहीं, बल्कि अपनी सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर पुनः प्रस्तुत करने को भी लेकर गंभीर है।

       बिहार संग्रहालय की एक अलग पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनी है, और अब पटना संग्रहालय को उससे जोड़ना सरकार की सोच में निरंतरता और दूरदर्शिता को दर्शाता है। दोनों संग्रहालयों के एकीकृत अनुभव से न केवल देशी बल्कि विदेशी पर्यटकों की संख्या में भी वृद्धि की संभावना है।

संरक्षण बनाम विकास: संतुलन की आवश्यकता

       ऐसी परियोजनाएँ, जहाँ संरचना निर्माण सांस्कृतिक संवेदनशीलता से जुड़ी हो, वहाँ तकनीकी दक्षता के साथ-साथ ऐतिहासिक समझ भी अनिवार्य हो जाती है। मुख्यमंत्री द्वारा की गई नियमित मॉनिटरिंग इस संतुलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

       अतीत में कई बार देखा गया है कि विकास की दौड़ में ऐतिहासिक संरचनाओं और उनके मूल स्वरूप से समझौता किया गया है। इस परियोजना की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि निर्माण कार्यों में संग्रहालयों की मूल आत्मा और स्थापत्यशैली को कितना बरकरार रखा जाता है।

पर्यटन से आर्थिक सशक्तिकरण

       यह परियोजना, यदि निर्धारित समयसीमा और गुणवत्ता के साथ पूरी होती है, तो पटना शहर पर्यटन मानचित्र पर और अधिक प्रभावशाली तरीके से उभरेगा। संग्रहालय पर्यटन के माध्यम से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोजगार के अवसर सृजित होंगे।

       पर्यटन क्षेत्र से संबंधित गाइड्स, लोक कलाकार, हैंडीक्राफ्ट विक्रेता, रेस्तराँ व्यवसायी और ट्रांसपोर्ट सेवा प्रदाताओं को इसका सीधा लाभ मिलेगा। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और बिहार की छवि एक उभरते सांस्कृतिक और ऐतिहासिक केंद्र के रूप में स्थापित होगी।

निष्कर्ष: संस्कृति के प्रति जागरूक नेतृत्व की आवश्यकता

       बिहार संग्रहालय और पटना संग्रहालय के बीच टनल का निर्माण केवल एक तकनीकी परियोजना नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक मिशन है। यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उस दीर्घदृष्टि का प्रमाण है, जो बिहार को सिर्फ विकासशील नहीं, बल्कि संस्कृतिसम्पन्न राज्य के रूप में देखती है।

       इस तरह की योजनाओं में प्रशासनिक इच्छाशक्ति, विशेषज्ञों की भागीदारी और आम जनता की भागीदारी भी अहम है। यदि यह मॉडल सफल होता है, तो देश के अन्य ऐतिहासिक शहरों के लिए एक रोल मॉडल बन सकता है।

       बिहार की यह परियोजना केवल अतीत को संजोने की नहीं, बल्कि भविष्य को दिशा देने की कोशिश है। उम्मीद की जानी चाहिए कि यह सुरंग, केवल दो इमारतों को नहीं बल्कि बिहार के गौरवशाली इतिहास और उसके उज्जवल भविष्य को भी आपस में जोड़ने का माध्यम बनेगी।