
कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व सांसद सज्जन कुमार को 1984 के सिख दंगे से जुड़े मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. सज्जन सिंह पहले ही दिल्ली हाई कोर्ट की तरफ से इन्हीं सिख दंगों से जुड़े एक मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. सज्जन कभी दिल्ली में चाय की दुकान चलाया करते थे. सियासत में कदम रखने के बाद राजनीतिक बुलंदी को छुआ. सिख दंगे में उम्रकैद की सजा पाने वाले सज्जन कुमार आखिरकार कौन हैं और उनका राजनीतिक सफर कैसे आगे बढ़ा? दिल्ली में एक चाय की दुकान से लेकर निगम पार्षद और लोकसभा सांसद तक का सफर तय करने वाले सज्जन कुमार की एक समय तूती बोलती थी. निगम पार्षद के चुनाव से संजय गांधी की नजर में आए और फिर सियासत में पलटकर नहीं देखा. 1994 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में भड़के सांप्रदायिक दंगे में सज्जन कुमार का अहम रोल रहा था.
सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा
सज्जन कुमार को 1984 सिख दंगे से जुड़े एक और मामले में दोषी पाए जाने के बाद उम्रकैद की सजा दी गई है. यह मामला 1 नवंबर 1984 को दिल्ली के सरस्वती विहार में भीड़ को भड़काने से जुड़ा है, जिसमें जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या हुई थी. अभियोजन पक्ष ने कहा था कि सज्जन कुमार ने भीड़ को उकसाकर बड़े स्तर पर सिखों के घरों-दुकानों पर लूट और आगजनी कराई. इसी दौरान एक घर में लूट और आग लगाने से पहले भीड़ ने सिख समुदाय के दो लोगों को जिंदा जलाकर मार दिया था. इसी मामले में उन्हें उम्रकैद की सजा दी गई है. इसके अलावा सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक दूसरे मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने 2018 में सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. वो तिहाड़ जेल में बंद हैं
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