June 27, 2025

CHHATTISGARH TIME

ज़रा हटकर, एक नई दृष्टिकोण से देश और दुनिया की सबसे स्वच्छ खबरें

सुप्रीम कोर्ट में असम के मटिया ट्रांजिट कैंप मामले की सुनवाई, 21 मार्च तक टली

सुप्रीम कोर्ट में असम के मटिया ट्रांजिट कैंप मामले की सुनवाई, 21 मार्च तक टली




असम के मटिया ट्रांजिट कैंप में 270 विदेशी नागरिकों के डिपोर्ट न किए जाने के मामले को लेकर मंगलवार (25 फरवरी) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि इस मुद्दे पर उच्च स्तरीय अधिकारियों द्वारा विचार विमर्श किया जा रहा है और फैसला 21 मार्च तक लिया जाएगा. इसलिए 21 मार्च तक सुनवाई टाल दी जाए. सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का अनुरोध स्वीकार कर लिया और सुनवाई 21 मार्च तक के लिए टाल दी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अपने पहले के दिए निर्देश के पालन को लेकर केंद्र सरकार से जवाब मांगा. वहीं आज तारीख न बताए जाने पर कोर्ट ने 21 मार्च की डेडलाइन तय कर दी. केंद्र की तरफ से कहा गया कि मामले पर विचार-विमर्श जारी है और इसके लिए अतिरिक्त समय की जरूरत है.

निर्वासन के मुद्दे को उच्चतम स्तर पर निपटाया जा रहा
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की अपील पर जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुयान की बेंच ने आज सुनवाई स्थगित कर दी. वहीं इससे पहले बेंच ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल का कहना है कि विदेशियों के निर्वासन के मुद्दे को उच्चतम स्तर पर निपटाया जा रहा है, अगर समय मिलता है, तो वह इसे लेकर अधिकारिक फैसले को रिकॉर्ड में दर्ज करेंगे. SG ने इस मामले पर केंद्र की प्रतिक्रिया बताने के लिए अधिक समय की मांग थी. सोमवार को उन्होंने कोर्ट को आश्वासन देते हुए 2 हफ्ते का और समय मांगा था.

सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को लगाई थी फटकार
सुप्रीम कोर्ट विदेशियों को निर्वासित करने के बजाय उन्हें अनिश्चितकाल तक कैद में रखने को लेकर असम सरकार को फटकार भी लगा चुका है. कोर्ट ने सवाल किया था कि क्या सरकार उन्हें वापस भेजने के लिए किसी मुहूर्त का इंतजार कर रही है. बेंच ने कहा था कि असम तथ्यों को छिपा रहा है और हिरासत में लिए गए लोगों के विदेशी होने की पुष्टि होते ही उन्हें तत्काल निर्वासित कर दिया जाना चाहिए.

बेंच ने असम सरकार से कहा था कि आपने यह कहकर निर्वासन की प्रक्रिया शुरू करने से इनकार कर दिया कि नागरिकों के पते मालूम नहीं हैं. कोर्ट ने कहा कहा कि यह हमारी चिंता क्यों होनी चाहिए? आप नागरिकों को उनके देश भेज दें. क्या आप किसी मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं?.

कोर्ट ने असम सरकार की इस सफाई पर आश्चर्य जताया कि वह विदेश मंत्रालय को राष्ट्रीयता सत्यापन फॉर्म इसलिए नहीं भेज रही है, क्योंकि विदेश में बंदियों का पता मालूम नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह अब तक निर्वासित किए गए लोगों की सजानकारी दे, साथ ही यह भी बताए कि वह आगे इस तरह के बंदियों के मामले में कैसे निपटेगा, जिनकी राष्ट्रीयता अज्ञात है.

 







Previous articleतेलंगाना के श्रीशैलम SLBC सुरंग में हादसा, 8 मजदूर फंसे, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी