

सफलता की कहानी
दुर्ग। प्रधानमंत्री आवास योजना से खेदी बाई की घर बनाने का सपना साकार हुआ है। दुर्ग शहर के पंचशील नगर वार्ड क्रं. 1 में रहने वाली श्रीमती खेदी बाई सिन्हा के पति की मृत्यु आज से 19 बरस पहले एक सड़क दुर्घटना में हो गई। उन्होंने अपने तीन बच्चों का भरण-पोषण व जीवन यापन के लिए दैनिक मजदूरी के कार्य को अपनाया। बच्चों कीे शिक्षा एवं विवाह कार्य में उनकी जमा पंूजी खर्च हो जाने के कारण खेदीबाई के पक्के घर का सपना अधूरा रह गया। प्रधानमंत्री आवास योजना की जानकारी मिलने पर उन्होंने भी आवेदन प्रस्तुत किया। योजनांतर्गत मकान निर्माण की स्वीकृति मिलने पर श्रीमती सिन्हा के बैंक खाते में सीधे राशि हस्तांतरित की गई है। उन्होंने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार पूर्व की तरह स्कूल, आंगनबाड़ी, स्वास्थ्य की सेवाएं तो बहुत सालों से देती आ रही है परन्तु पक्का आवास वाला यह योजना अपने-आप ही बहुत ही अलग एवं महत्वपूर्ण है।
सफलता की कहानी
लीला का बन गया पक्का मकान
दुर्ग। एक झुग्गी में अपने 2 बच्चों के साथ काफी मुश्किलों वाला वक्त गुजारने वाली 57 वर्षीय एकल महिला इस सफल कहानी की मुख्य किरदार है श्रीमती लीला ठाकुर जिनके पति की मृत्यु 13 वर्ष पूर्व हो गई थी। दुर्ग शहर के वार्ड क्रं. 13 के रहने वाली हितग्राही श्रीमती लीला ने बताया कि दो छोटे-छोटे बच्चों का लालन-पालन करना बड़ा ही कठिन था। स्वर्गीय पति की अंतिम ईच्छा थी कि अपना एक खुद का पक्का मकान होता, उस सपने को प्रधानमंत्री आवास योजना ने पूरा किया है। श्रीमती लीला ठाकुर ने आगे बताते हुए कहा कि उन्हें किश्तों की राशि के लिए कभी भी किसी भी कार्यालय का चक्कर नहीं लगाना पड़ा तथा कुछ अन्य खर्च भी नहीं करना पड़ा। 4 किश्तों में इनके बैंक खाते में सीधे अनुदान राशि प्राप्त हो गई। सरकार के सहयोग से आज श्रीमती लीला ठाकुर का सपना साकार हो गया है वह अपने सर्व सुविधायुक्त पक्के मकान के साथ प्रसन्नता के साथ जीवन व्यतीत करते हुए केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकार को बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता है।
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