
गृहभेंट, पोषण परामर्श और समर्पित प्रयासों से कुपोषित बालिका सामान्य श्रेणी में पहुंची
दुर्ग। महिला एवं बाल विकास विभाग जिला दुर्ग द्वारा चलाए जा रहे कुपोषण मुक्ति अभियान के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। समुदाय में पोषण के प्रति लगातार बढ़ती जागरूकता के चलते अब कई कुपोषित बच्चों का वजन सामान्य स्तर की ओर बढ़ रहा है। ऐसा ही एक प्रेरणादायक उदाहरण ग्राम गनियारी की 2 वर्ष 6 माह की बालिका कृषा ठाकुर का है, जो अब कुपोषण से मुक्त होकर सुपोषण की ओर बढ़ चली है।
कृषा पूर्व में मध्यम कुपोषित श्रेणी में थी। जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मिथिलेश देवदास ने गृहभेंट की, तो पता चला कि कृषा को बाजार के पैकेट वाले चिप्स, कुरकुरे आदि खाने की आदत थी, जिससे उसका वजन नहीं बढ़ रहा था। सामान्य वजन की श्रेणी में आने के लिए कृषा को 800 ग्राम वजन बढ़ाना था। इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए कार्यकर्ता ने परिवार को पोषण संबंधी उचित सलाह दी। उन्हें बताया गया कि पैकेट वाले खाद्य पदार्थ बच्चों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालते हैं। इसके स्थान पर घर में बना पौष्टिक भोजन, अंकुरित अनाज, मौसमी फल, चना, मूंगफली और रेडी-टू-ईट खाद्य का उपयोग करने को कहा गया। पर्यवेक्षक शशि रैदास द्वारा भी परिवार को डाइट चार्ट पढ़ाकर समझाया गया और उसका नियमित पालन करने की सलाह दी गई। साथ ही, कृषा को बाल संदर्भ योजना का लाभ दिलाया गया और आवश्यक दवाइयां भी समय पर दी गईं। लगातार चार माह के सतत प्रयासों और गृहभेंट के माध्यम से की गई निगरानी से कृषा का वजन 9.2 किलोग्राम से बढ़कर 10.2 किलोग्राम हो गया। कृषा अब सामान्य श्रेणी में आ गई है। उसकी मां ने बाल विकास विभाग और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के प्रति आभार जताया और अपने अनुभव को गाँव की अन्य माताओं के साथ साझा किया।
कृषा की कहानी से प्रेरित होकर एक अन्य कुपोषित बालक मितांशु साहू की मां ने भी यही उपाय अपनाने शुरू कर दिया। अब मितांशु को सामान्य स्थिति में आने के लिए केवल 200 ग्राम वजन बढ़ाने की आवश्यकता है। जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी अजय कुमार साहू ने बताया कि कुपोषण से निपटने के लिए विभाग द्वारा कुपोषण मुक्त ग्राम पंचायतों में नियमित गृहभेंट, पोषण शिक्षा और जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। लोगों में अब यह समझ विकसित हो रही है कि स्वस्थ खान-पान ही बच्चों को कुपोषण से बचा सकता है।
9 जून तक दावा-आपत्ति आमंत्रित
दुर्ग। नगर पालिका निगम भिलाई-चरोदा क्षेत्रांतर्गत एकीकृत बाल विकास परियोजना भिलाई-2 अंतर्गत 01 संचालित आंगनबाड़ी, 06 नवीन स्वीकृत आगंनबाड़ी केन्द्रों में स्वीकृत कार्यकर्ता/सहायिका तथा 02 नवीन स्वीकृत पालना केन्द्र (आगंनबाड़ी सह पालना) की पद की अनन्तिम योग्यता सूची जारी कर दी गई है। अनन्तिम सूची कार्यालय परियोजना अधिकारी, एकीकृत बाल विकास परियोजना भिलाई-02 व आयुक्त, नगर पालिका निगम भिलाई-चरोदा के सूचना पटल पर अवलोकन हेतु चस्पा की गई है। उक्त सूची पर दावा आपत्ति 09 जून 2025 तक कार्यालय परियोजना अधिकारी, एकीकृत बाल विकास परियोजना भिलाई-02, जिला दुर्ग में कार्यालयीन समय में प्रस्तुत कर सकते हैं। नियत तिथि के उपरांत कोई भी दावा/आपत्ति स्वीकार नहीं किया जाएगा।
विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी श्री साव निलंबित
दुर्ग। दुर्ग संभाग के आयुक्त श्री सत्यनारायण राठौर ने कलेक्टर दुर्ग के प्रतिवेदन के आधार पर विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी दुर्ग श्री गोविंद साव को शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण अंतर्गत अपनी पत्नी को अतिशेष से मुक्त रखने परिशिष्ट-02 में तैयार की गई जानकारी को कर्त्तव्य निर्वहन में गंभीर लापरवाही एवं कदाचार बरतने के आरोप में छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकृत, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 9 (1) (क) के अंतर्गत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया है। निलंबन अवधि में श्री साव का मुख्यालय कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग निर्धारित किया गया है। साथ ही इस अवधि में उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वह भत्ते की पात्रता होगी।
ज्ञात हो कि श्री गोविंद साव विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी दुर्ग के द्वारा अपनी पत्नी श्रीमती कुमुदनी साव उच्च वर्ग शिक्षक (हिन्दी) शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला सेक्टर-09 भिलाई जिला दुर्ग को अतिशेष से मुक्त रखने के उद्देश्य से युक्तियुक्तकरण हेतु परिशिष्ट-02 में तैयार की गई जानकारी में श्रीमती कुमुदनी साव को उच्च वर्ग शिक्षक (गणित)की जानकारी प्रदर्शित की गई। इस प्रकार विकाखण्ड शिक्षा अधिकारी के जिम्मेदार पद पर आसीन होते हुए अपनी पत्नी को अतिशेष से मुक्त रखने हेतु कुटरचना की गई। श्री साव का उक्त कृत्य छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम-1965 के नियम 03 के प्रतिकूल है।
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