
बालोद। बालोद जिले के पुरुर क्षेत्र में अवैध रेत खनन का भंडाफोड़ करने वाले पत्रकार पर हुए जानलेवा हमले के मुख्य आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। यह कार्रवाई अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति के सशक्त हस्तक्षेप और दबाव के बाद संभव हो पाई।
क्या है मामला?
पत्रकार कृष्णा गंजीर द्वारा पुरुर क्षेत्र में अवैध रेत खनन और भंडारण की शिकायत की गई थी। जांच के दौरान रेत माफिया ने पत्रकार पर लोहे की रॉड और डंडों से जानलेवा हमला किया। पत्रकार किसी तरह जान बचाकर भागे और थाने में शिकायत दर्ज कराई।
हालांकि, शुरुआती तौर पर पुलिस द्वारा कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई, जिससे आक्रोशित होकर पत्रकारों ने दुर्गवती चौक पर अनिश्चितकालीन धरना देने की तैयारी कर ली। इसी बीच एसडीएम रामकुमार सोनकर ने पत्रकारों से भेंट कर आरोपी की गिरफ्तारी की जानकारी दी और धरना स्थगित करने की अपील की, जिसे पत्रकारों ने मान लिया।
पत्रकार संगठन का सक्रिय मोर्चा
अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति के प्रदेश सचिव राकेश तंबोली के नेतृत्व में दुर्ग, सारंगढ़, मस्तूरी, धमतरी जिलों के पत्रकार प्रतिनिधियों ने मोर्चा संभाला। प्रतिनिधियों ने एसडीएम से मुलाकात कर अवैध रेत का भंडारण जब्त करने और आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।
एसडीएम ने 2-3 दिन के भीतर कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
पत्रकार सुरक्षा कानून की पुरजोर मांग
पत्रकारों ने पुनः प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग को दोहराया है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2023 में उक्त कानून विधानसभा से पारित कर राज्यपाल के पास भेजा था, लेकिन भाजपा सरकार के अब तक कोई ठोस पहल न करने से पत्रकारों में भारी नाराजगी है। समिति ने संकेत दिया है कि अगर शीघ्र कोई पहल नहीं हुई, तो प्रदेशव्यापी आंदोलन किया जाएगा।
प्रमुख उपस्थिति:
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राकेश तंबोली, प्रदेश सचिव, अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति
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नरेश चौहान, जिलाध्यक्ष सारंगढ़
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देवराज दीपक, कार्यकारी जिलाध्यक्ष सारंगढ़
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कृष्णा महिलाने, मिथुन यादव, मोहन लहरे, शम्भू पटेल, राज सिदार
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समीप अनंत, रंजीता तंबोली (दुर्ग), अर्जुन सिंह राजपूत (दुर्ग)
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गोपाल निर्मलकर, राकेश जसपाल, सुरेश गुप्ता, विजय देवांगन
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महेश तिवारी, प्रदीप गोयल (अहिवारा), कुंवर सिंह चौहान (अहिवारा) आदि पत्रकार साथी उपस्थित रहे।
निष्कर्ष:
पत्रकारों पर बढ़ते हमलों और अवैध खनन जैसे गंभीर विषयों पर कार्रवाई की धीमी गति ने पत्रकार सुरक्षा कानून की आवश्यकता को फिर एक बार रेखांकित किया है। यदि प्रशासन ने अवैध रेत माफियाओं पर समय रहते सख्ती नहीं दिखाई, तो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ असुरक्षित बना रहेगा।
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