June 28, 2025

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छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में ईडी की छापेमारी, भूपेश बघेल और उनके बेटे के ठिकानों पर कार्रवाई

छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में ईडी की छापेमारी, भूपेश बघेल और उनके बेटे के ठिकानों पर कार्रवाई

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री के ठिकानों पर ED की कार्रवाई, शराब घोटाले में 2,100 करोड़ की हेराफेरी का आरोप

बघेल बोले – ‘चुनाव से पहले कांग्रेस को टारगेट करने की चाल’, भाजपा ने कहा – ‘भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई’

       रायपुर। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव भूपेश बघेल तथा उनके बेटे चैतन्य बघेल से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग और कथित ₹2,100 करोड़ के शराब घोटाले से जुड़ी जांच के तहत की गई।

ईडी की छापेमारी – प्रमुख बिंदु

  • सुबह-सुबह ईडी की टीम भूपेश बघेल के भिलाई स्थित आवास पहुंची और तलाशी ली।
  • चैतन्य बघेल के ठिकानों सहित अन्य कई व्यक्तियों से जुड़े स्थानों पर भी ईडी की छापेमारी हुई।
  • ईडी ने दावा किया कि शराब घोटाले से राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ, जबकि शराब सिंडिकेट ने 2,100 करोड़ रुपये की हेराफेरी की।
  • इस मामले में पहले ही कई सरकारी अधिकारियों और व्यापारियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

भूपेश बघेल ने बताया ‘राजनीतिक साजिश’

भूपेश बघेल के कार्यालय की ओर से ट्वीट किया गया:

बघेल का आरोप:

“यह पूरी तरह से एक राजनीतिक षड्यंत्र है, जिसका मकसद आगामी चुनावों से पहले कांग्रेस को निशाना बनाना है।”क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला?

ईडी और एसीबी (ACB) की जांच में सामने आया कि:

  • 2019-23 के बीच कथित रूप से एक सिंडिकेट के जरिए सरकारी शराब दुकानों में भ्रष्टाचार हुआ।
  • IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर पर

सिंडिकेट चलाने का आरोप।

  • डिस्टिलर्स से रिश्वत और शराब की बेहिसाब बिक्री से अवैध मुनाफा कमाया गया।
  • इस घोटाले की राशि ₹2,000 करोड़ से अधिक आंकी गई।

       हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल 2024 को अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस को खारिज कर दिया था, यह कहते हुए कि “इसमें अपराध की कोई आय नहीं थी।”

अब आगे क्या?

  • ईडी मामले की विस्तृत जांच कर रही है और इस घोटाले से जुड़े अन्य व्यक्तियों से भी पूछताछ हो सकती है।
  • भूपेश बघेल और कांग्रेस इसे राजनीतिक षड्यंत्र बता रही है, जबकि भाजपा सरकार इसे “भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई” करार दे रही है।
  • यह मामला आगामी चुनावों में बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।

       क्या यह वाकई भ्रष्टाचार की जांच है या राजनीतिक प्रतिशोध? आने वाले दिनों में इस पर बड़ा सियासी घमासान देखने को मिल सकता है।