
स्वास्थ्य विभाग का सख्त कदम
- तीन वर्षों से अधिक अनाधिकृत अनुपस्थिति पर कार्रवाई
- छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (अवकाश) नियमों का उल्लंघन
कारण बताओ नोटिस और सुनवाई प्रक्रिया
- नोटिस का संतोषजनक जवाब न देने पर कठोर निर्णय
- अनुपस्थित चिकित्सकों को पक्ष रखने का अवसर
विभागीय जांच के आदेश
- 21 चिकित्सा अधिकारियों की अनुपस्थिति और कर्तव्यहीनता की जांच
- जिम्मेदारी सुनिश्चित करने की दिशा में कदम
सरकार का संदेश और उद्देश्य
- स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार का प्रयास
- कर्तव्यहीनता पर जीरो टॉलरेंस नीति
रायपुर। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए लंबे समय से अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित 27 चिकित्सा अधिकारियों और विशेषज्ञ चिकित्सकों को सेवा से मुक्त कर दिया है। इसके साथ ही, 21 चिकित्सा अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी जारी किए गए हैं।
अनाधिकृत अनुपस्थिति पर कड़ी कार्रवाई:
- चिकित्सा अधिकारियों और विशेषज्ञ चिकित्सकों को अपने कार्यस्थलों से तीन वर्ष से अधिक समय तक अनाधिकृत अनुपस्थित रहने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।
- यह अनुपस्थिति छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (अवकाश) नियम और शासन के मूलभूत नियमों का उल्लंघन मानी गई।
- नोटिस का जवाब न देने या संतोषजनक जवाब प्रस्तुत न करने पर विभाग ने यह कठोर निर्णय लिया।
सुनवाई और निर्णय प्रक्रिया:
- अनुपस्थित चिकित्सकों को अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर दिया गया।
- सुनवाई में उपस्थित अधिकारियों और चिकित्सकों के पक्षों पर गंभीरता से विचार किया गया।
- उनके द्वारा प्रस्तुत जवाबों को अपर्याप्त और नियमों के विरुद्ध पाते हुए उनकी सेवा समाप्त कर दी गई।
विभागीय जांच के आदेश:
- 21 अन्य चिकित्सा अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई है। यह जांच उनके अनुपस्थित रहने के कारणों और कर्तव्यहीनता की गंभीरता को समझने के लिए की जा रही है।
सरकार का सख्त संदेश:
राज्य सरकार ने इस कार्रवाई के जरिए स्पष्ट संदेश दिया है कि कर्तव्यहीनता और अनाधिकृत अनुपस्थिति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह कदम स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता बनाए रखने और जनता को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
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