June 27, 2025

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नगरीय निकायों के महापौर एवं अध्यक्ष पद आरक्षण पर विवाद

नगरीय निकायों के महापौर एवं अध्यक्ष पद आरक्षण पर विवाद

ओबीसी आरक्षण के लिए प्रोजेक्टेड जनसंख्या का उपयोग विवादित

लॉटरी प्रक्रिया में अनियमितता का आरोप

संवैधानिक अपील और न्यायालय का रुख करने की चेतावनी

आरक्षण प्रक्रिया पर प्रश्नचिन्ह: पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग

       भिलाई। भिलाई निवासी आरटीआई और सामाजिक कार्यकर्ता अली हुसैन सिद्दीकी ने छत्तीसगढ़ के नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के संचालक सचिव को पत्र लिखकर महापौर और अध्यक्ष पद के आरक्षण प्रक्रिया में दो प्रमुख आपत्तियां दर्ज कराई हैं। उन्होंने प्रक्रिया को असंवैधानिक और नियमविरुद्ध बताते हुए इसे तत्काल रोके जाने की मांग की है।

प्रमुख आपत्तियां:

1. अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की गणना का आधार:

  • अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के आरक्षण के लिए 2011 की जनगणना को आधार बनाया गया है।
  • अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 2024 के सर्वेक्षण और काल्पनिक (प्रोजेक्टेड) जनसंख्या को आधार मानकर आरक्षण तय किया गया है।
  • यह प्रक्रिया छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम, 1956, और नगर पालिका अधिनियम, 1961 के नियमों के विरुद्ध है।
  • सिद्दीकी ने कहा कि 2011 की जनगणना और 2024 के प्रोजेक्टेड आंकड़ों का मिश्रण नियमों के अनुसार स्वीकार्य नहीं है।

2. लॉटरी प्रक्रिया का उल्लंघन:

  • पिछली बार, रिसाली नगर निगम को ओबीसी महिला वर्ग और रायगढ़ नगर निगम को अनुसूचित जाति (एससी) महिला वर्ग के लिए आरक्षित किया गया था।
  • इस बार दोनों नगर निगमों को एससी वर्ग के लिए आरक्षित किया गया, जिसमें से एक को महिला वर्ग के लिए आरक्षित किया जाना था।
  • सिद्दीकी के अनुसार, यह आरक्षण लॉटरी पद्धति (चिट डालकर) से होना चाहिए था, लेकिन नियमों का उल्लंघन करते हुए बिना लॉटरी के रिसाली नगर निगम को एससी महिला वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया गया।

संवैधानिक अपील:

       सिद्दीकी ने प्रशासन से आरक्षण प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने और इसे संविधान के अनुसार सही तरीके से करने की मांग की है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि यदि उनकी आपत्तियों का समाधान नहीं किया गया, तो वह उच्च न्यायालय का रुख करेंगे।

संभावित प्रभाव:

  • यह मामला नगरीय निकायों के आरक्षण में पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है।
  • यदि उच्च न्यायालय में यह मामला जाता है, तो आरक्षण प्रक्रिया और चुनाव कार्यक्रम में देरी हो सकती है।

नगरीय प्रशासन विभाग की चुनौती:

       इस विवाद से बचने के लिए विभाग को नियमों का सख्ती से पालन करते हुए आरक्षण प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करनी होगी।